अमेरिकी टेक्नोलॉजी को दी चुनौती, हूथियों ने गिराए हाई-टेक ड्रोन

अमेरिका को यमन में ऐसा नुकसान हो रहा है, जो बिना एक भी सैनिक खोए भी भारी पड़ रहा है. यहां अमेरिकी हथियारों का ‘कत्ल’ हो रहा है और वो भी हूती विद्रोहियों के हाथों. सिर्फ तीन हफ्तों में हूतियों ने अमेरिका के सात हाई-टेक रीपर ड्रोन मार गिराए हैं.
जिनकी कीमत 200 मिलियन डॉलर से ज्यादा बताई जा रही है. यानी इन तीन हफ्तों में अमेरिका क हाई-टेक हथियारों को बड़ी संख्या में नुकसान पहुंचा है.
तीन हफ्तों में सात ड्रोन तबाह
अमेरिकी रक्षा अधिकारियों के मुताबिक, ये ड्रोन 31 मार्च से 22 अप्रैल के बीच तबाह किए गए. सिर्फ पिछले एक हफ्ते में ही तीन ड्रोन मार गिराए गए, जिससे यह साफ होता है कि हूती अब अमेरिका के हाई-एल्टीट्यूड ड्रोन को भी निशाना बनाने में सक्षम हो गए हैं. ये सभी ड्रोन निगरानी या हमले की मिशन पर थे और या तो जमीन से टकराए या पानी में गिर गए. एक ‘रीपर ड्रोन’ की कीमत करीब 30 मिलियन डॉलर बताई जाती है. अमेरिकी रक्षा विभाग ने पुष्टि की है कि यह नुकसान हूती हमलों का ही नतीजा है, हालांकि इसकी जांच जारी है.
अमेरिका की रणनीति पर उठ रहे सवाल
हूती-नियंत्रित इलाकों में अमेरिकी हमलों के बाद आम नागरिकों की मौतों में भी तेज़ी आई है. एक स्वतंत्र निगरानी संस्था ‘एयरवॉर्स’ के मुताबिक, मार्च महीने में अमेरिका के हवाई हमलों में 27 से 55 नागरिक मारे गए, जबकि अप्रैल में यह आंकड़ा और भी अधिक हो सकता है. इस बीच अमेरिका ने हूती ठिकानों पर 800 से ज्यादा हमले किए हैं, जिसमें हथियार डिपो, कमांड सेंटर्स और एयर डिफेंस सिस्टम तबाह किए गए हैं। हालांकि, इन दावों की स्वतंत्र पुष्टि नहीं हो सकी है.
राजनीतिक दबाव में अमेरिका
वाशिंगटन में अमेरिकी हमलों की नैतिकता को लेकर सवाल उठ रहे हैं. अमेरिकी सीनेटर क्रिस वान होलेन, एलिजाबेथ वॉरेन और टिम केन ने रक्षा सचिव पीट हेगसेथ को पत्र लिखकर बढ़ते नागरिक नुकसान पर चिंता जताई है. खासकर पोर्ट पर हुए हमले में 80 लोगों की मौत और 150 से अधिक के घायल होने की रिपोर्ट ने प्रशासन की जवाबदेही पर उंगली उठाई है.
हूती विद्रोहियों का कहना है कि जब तक गाजा में युद्ध बंद नहीं होता, वे अमेरिकी, ब्रिटिश और इजरायली जहाजों को निशाना बनाते रहेंगे. ऐसे में अमेरिका को सैन्य नुकसान के साथ-साथ राजनीतिक मोर्चे पर भी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है.