सारंगपुर। इंसान के जीवन को खुशिओं और आशाओं से भरने वाले बच्चे ही तो है, लेकिन दो वक्त की रोटी के लिए कुछ मासूम बच्चे सड़क पर करतब दिखाने को मजबूर है। जिस उम्र में बच्चो को स्कूल में पढना और खेलना चाहिए। उस उम्र में ये बच्चे सड़कों पर करतब दिखा रहे है। इन्ही सड़कों से बड़े-बड़े समाज सेवी और प्रशासन के नुमाइंदे गुजरते हैं, लेकिन कोई भी इन बच्चो को इस मुसीबत से निकालने की जहमत तक गवारा नहीं करता। अपने और अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए मासूम बच्चे रोजाना लोगों को तमाशा दिखाते है, लेकिन कोई भी समाज सेवी व जिम्मेदार प्रशासनीक अधिकारी यह जानने की कोशिश नहीं करता की आखिरकार यह बच्चे ऐसा क्यों कर रहे है। आखिर इन बच्चो पर ध्यान क्यो नही दिया जा रहा है। वही बाल श्रम विभाग की नजर भी इस ओर नहीं जाती। सरकारों की नीतियां भी इन्हीं सड़कों पर दम तोडती देखी जाती हैं। सरकार बच्चों का भविष्य सुधारने के लिए विभिन्न योजनाएं बनाती हैं और करोड़ो खर्च करती हैं, लेकिन इन योजनाओ का हक उन्हें मिल रहा है या नही, इसकी सुधि लेने कोई नहीं उतरता है। रोजाना कई परिवार अपने छोटे-छोटे बच्चों सहित सड़कों पर निकल पडते है और कहीं भी जगह देख कर अपना खेल शुरू कर देते हैं। करतब दिखाने के बाद ये मासूम बच्चे लोगो से अपने और अपने परिवार के लिए पैसे भी इकठ्ठा करते है।