सारंगपुर। न्यायालय प्रथम अतिरिक्त जिला सत्र न्यायाधीश सारंगपुर चित्रेंद्र सिंह सोलंकी ने न्यायालय में प्रचलित प्रकरण क्र. 373 / 2019 अंतर्गत धारा 420, 120 बी, 409 भादस एवं 3 (4) 6 (1) मध्य प्रदेश निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम से उदभूत सत्र प्रकरण में बालमुकुंद पिता देवी लाल प्रजापति निवासी ग्राम गुलावता थाना सारंगपुर को धारा 420 भादस में पांच-पांच वर्ष का कठोर कारावास एवं दस-दस हजार रुपए का जुर्माना, धारा 409 भारतीय दंड संहिता में सात-सात वर्ष के कठोर कारावास एवं दस-दस हजार रुपये के जुर्माना से दंडित किया। घटना की जानकारी देते हुए अतिरिक्त लोक अभियोजक शिव प्रसाद शर्मा ने बताया कि फरियादी संतोष ने दिनांक 09 जुलाई 2017 को इस आशय की रिपोर्ट थाना सारंगपुर में लिखवाई थी कि सन् 2010 में अभियुक्त बालमुकुंद ने बीएनपी फ्रेंडशिप नाम से एक कंपनी बनाई और उक्त कंपनी के पंपलेट एवं विभिन्न प्रकार की स्कीम समझा कर कहा कि कंपनी में निवेश करने पर कम समय में अधिक रुपए मिलेगा। कई लोगों से सन् 2010 से निरंतर उक्त कंपनी में निवेश कराया। फरियादी संतोष ने अपने भाई बहन एवं अन्य लोगों के नाम से कंपनी में करीब 2 लाख 50 हजार रुपए का निवेश कर पालीसी बनवाई थी। उक्त कंपनी में सारंगपुर व आसपास के क्षेत्र के रहने वाले कई लोगों ने निवेश किया था। पॉलिसी की समय अवधि पूर्ण होने के बाद उक्त कंपनी द्वारा आज तक निवेश किया गया रुपया वापस नहीं लौटाया एवं कई लोगों को धोखाधड़ी से लाखों रुपए निवेश करवा कर कंपनी बंद करके फरार हो गई है। फरियादी की शिकायत पर आरक्षी केंद्र सारंगपुर द्वारा अभियुक्त के विरुद्ध अपराध क्र. 317/ 2017 धारा 420 120 भी भादस एवं धारा 3 (4) 6 (1) मध्य प्रदेश निक्षेपण के हितों का संरक्षण अधिनियम में प्रकरण दर्ज कर विवेचना की गई। उक्त प्रकरण में न्यायालय मे अभियोजन द्वारा 35 गवाहों के कथन कराए गए। न्यायालय द्वारा उक्त कथनों के आधार पर यह पाया कि अभियुक्त बालमुकुंद कुंभकार बीएनपी फ्रेंडशिप एंड स्टेट कंपनी लिमिटेड मे वर्ष 2010 से वर्ष 2017 तक डायरेक्टर के पद पर पदस्थ होते हुए फरियादी संतोष एवं सारंगपुर व सारंगपुर के आसपास के अन्य लोगों को कंपनी में निवेश करने के लिए प्रवंचित कर बेईमानी पूर्वक उत्प्रेरित कर निवेश करा कर छल किया व उनके द्वारा निवेशित धनराशि का बेईमानी से दूर वियोग कर आपराधिक न्याय भंग किया है। इस कारण से अभियुक्त बालमुकुंद को दोषी करार देते हुए न्यायालय ने सजा एवं अर्थ दंड से दंडित किया।